महाराजा उम्मेद सिंह

Maharaja Umaid Singh

महाराजा उम्मेद सिंह:

चुनौती पूर्ण समय में एक सशक्त एवं आधुनिक नवीन जोधपुर के निर्माण में उनका योगदान अविस्मरणीय है,जिस वर्ष संसार में पहले वायुयान ने हवा में पहली उड़ान भरी, उसी वर्ष महाराजा उम्मेदसिंह का जन्म हुआ।जिस वर्ष वायुयान ने दुनिया का पहला चक्कर लगाया, उसी वर्ष महाराजा उम्मेदसिंह ने भारत के किसी देशी रजवाड़े में पहले उड्डयन विभाग की स्थापना की। महाराजा उम्मेदसिंह ई. 1918 में मारवाड़ रियासत के शासक हुए,उस समय वे नाबालिग थे। अतः शासन का काम जोधपुर के प्रधानमंत्री सर प्रताप चलाते थे।

उनकी सहायता के लिये रीजेंसी कौंसिल स्थापित की गयी। उस समय मारवाड़ रियासत में प्रशासनिक नवीनीकरण का कार्य चल रहा था। दुर्भाग्य से 1922 में सर प्रताप का निधन हो गया। अगले वर्ष 1923 में महाराजा उम्मेदसिंह को शासन सम्बंधी निर्णय लेने के अधिकार मिल गये। इसके बाद मारवाड़ रियासत में प्रशासनिक सुधारों का काम और आगे बढ़ा। यह वह समय था जब ब्रिटिश शासन विश्वव्यापी मंदीसे उबरने के लिये जी तोड़ हाथ-पांव मार रहा था।

इस कारण अंग्रेजों ने देशी रजवाड़ों को प्रशासनिक सुधार के लिये न केवल प्रेरित किया अपितु किसी हद तक बाध्य भी किया। महाराजा उम्मेदसिंह दूरदर्शी एवं आधुनिक विचारों के धनी थे। उन्होंने नये समय की चाल को समय रहते समझा और अपनी रियासत में कई नये विभागों की स्थापना की तथा पुराने विभागों को पुनर्गठित किया। नये विभागों में उड्डयन विभाग कई दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण था।

यह एक ऐसा विभाग था जिसने न केवल ब्रिटिश भारत में अपुित सम्पूर्ण यूरोप में जोधपुर रियासत को एक नवीन सम्मान और नये सिरे से ख्याति दिलवाई तथा रियासत को नवीन आर्थिक एवं सामरिक गतिविधियों का केन्द्र बना दिया।

महत्वपूर्ण योगदान: 

महाराजा उम्मेदसिंह ने अपने कार्यकाल के अंतिम वर्षों में उड्डयन विभाग पर राजकोष मे से एक करोड चार लाख दस हजार दो सौ बत्तीस रूपए छह आने तीन पाई खर्च की थी। यह धन राशि हवाई अड्डों के निर्माण, उनके विकास एवं रियासत में स्थित विभिन्न हवाई पटिटयों को बनाने में खर्च की गई थी। उनकी विमानन सेवाओं से प्रभावित होकर ब्रिटिश सरकार ने 23 जून 1931 को उन्हें रॉयल वायुसेना में ऑनरेरी एयर कमोडोर तथा 1945-46 में ऑनरेरी एयर वाइस मार्शल की उपाधी दी। ब्रिटिश आर्मी ने उन्हें ऑनरेरी लेफ्टिनेंट जनरल की उपाधी से अलंकृत किया। 9 जून 1947 को अपेंडिक्स के एक लघु आपरेशन के पश्चात माउंट आबू में महाराजा का निधन हो गया।

Umaid Bhavan Palace

उम्मेद भवन पैलेस: 

सूर्य नगरी के रूप में विख्यात जोधपुर में छीतर नामक लघु पहाड़ी पर स्थित उम्मेद पैलेस विश्व के भव्य राजप्रासादों में शीर्ष स्थान पर है. लोक मानस में छीतर पैलेस के नाम से प्रसिद्ध इस भव्य स्मारक का निर्माण जोधपुर के महाराजा उम्मेद सिंह द्वारा करवाया गया था. अकाल राहत कार्यों के अन्तर्गत निर्मित उम्मेद पैलेस की नींव 18 नवंबर,1928 ईस्वी में रखी गई थी और इसका निर्माण कार्य 1940 ईस्वी में पूर्ण हुआ था. आज की युवा पीढ़ी यह जान कर अचंभित हो सकती है कि उस समय उम्मेद पैलेस के निर्माण में 1.21 करोड़ रुपए व्यय हुए थे, जो तत्कालीन जोधपुर राज्य की सुदृढ़ आर्थिक स्थिति को रेखांकित करते हैं. जो भी हो, उम्मेद पैलेस में स्थित संग्रहालय एवं उद्दान आज भी आगंतुकों को मंत्र मुग्ध कर देते हैं.

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