विजय मंदिर झील महल व महाराजा जयसिंह प्रभाकर, अलवर राजस्थान

विजय मंदिर झील महल :

विजय मंदिर झील महल राजस्थान के अलवर शहर में स्थित एक खूबसूरत महल है, विजय मंदिर झील महल महाराजा जयसिंह द्वारा 1918 में बनाया गया था। यह महाराजा जयसिंह का आवासीय महल था। इस इमारत का ढांचा परंपरागत इमारतों से बिल्कुल अलग है। इसके अंदर एक राम मंदिर भी बना हुआ है। आजकल यह महल पारिवारिक झगडे के कारण बंद पडा हुआ है। महल सामने से पूरी तरह दिखाई नहीं देता लेकिन इसके पीछे वाली झील से इस महल का मनोरम दृश्य देखा जा सकता है। महल को देखने के बाद झील के साथ वाले मार्ग से बाला किला पहुंचा जा सकता है।यहां पर्यटकों को घूमने की अनुमति नहीं है।

महाराजा जयसिंह प्रभाकर   : 

अलवर के आधुनिक स्वरूप के प्रणेता माने जाने वाले महाराजा जयसिंह प्रभाकर का जन्म 14 जून 1882 को विनय विलास में हुआ। 23 मई 1892 को वे अलवर की राजगद्दी पर विराजमान हुए। अल्पवयस्क होने के कारण राज्य प्रबंध के लिए बनाई गई कौंसिल ने 1903 तक शासन प्रबंध को संचालित किया। 10 दिसंबर 1903 को वाइसराय लॉर्ड कर्जन से उन्हें शासन करने के पूर्ण अधिकार प्राप्त हुए।

कहा जाता है, की वे कुशल प्रशासक, न्यायप्रिय और देशभक्त थे। मई 1933 में उन्हें देश निकाला दे दिया गया। निर्वासन की अवधि में 19 मई 1937 को फ्रांस की राजधानी पेरिस में उनका निधन हो गया। महाराजा जयसिंह  प्रभाकर ने उलवर को अलवर नाम देकर नई पहचान दी। राजपूताने की 19 रियासतों में से अलवर जैसी छोटी रियासत के राजा होते हुए भी वे नरेंद्र मंडल के 8 महीनों तक चांसलर रहे।

महाराजा जयसिंह प्रभाकर ने 100 से अधिक कानूनों का निर्माण किया, 1908 में हिंदी को राज्य भाषा बनाना। 1920 में प्रशासनिक जागृति के लिए ग्राम पंचायतों की स्थापना, न्याय पालिका को कार्यपालिका से पूर्ण प्रथम कर 1928 में राज्य में उच्च न्यायालय की स्थापना की।

सिंचाई के लिए जयसमंद, प्रेमसिन्धु, मंगलसर, मानसरोवर, विजय सागर एवं हंस सरोवर सहित 117 बांधों का निर्माण किया गया।

राजर्षि कॉलेज की स्थापना की गई- निशुल्क शिक्षा और सैनिक शिक्षा की शुरुआत की गई। 1 अक्टूबर 1930 को राजर्षि कॉलेज की स्थापना की गई।

आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से युक्त अलेक्जेंडर हॉस्पिटल को स्थापित किया गया।

महाराजा जयसिंह प्रभाकर ने 1920 में राज्य में बाल विवाह व मृत्यु भोज पर पाबंदी लगाई। 1917 में 16 वर्ष से कम आयु के बच्चों को मादक पदार्थों के सेवन पर प्रतिबंध लगाया। समाज में शांति के लिए 1928 में अलवर कन्वर्जन एक्ट बनाया। इसके तहत धर्म परिवर्तन पर पाबंदी लगाई गई। राज्य में अनाज, घी आदि सभी प्रकार की भोजन सामग्री शुद्ध रूप में मिलने के लिए 1928 में खाद्य पदार्थों के नियम प्रचलित किए।

महाराजा जयसिंह प्रभाकर ने 1911 में वन्य जीव हिंसा को राज्य में प्रतिबंधित किया। 1918 में ‘सरिस्का वैली’ का निर्माण किया गया।

प्रसिद्ध किस्सा : 

इंगलैण्ड की राजधानी लंदन में यात्रा के दौरान एक शाम महाराजा जयसिंह सादे कपड़ों में बॉन्ड स्ट्रीट में घूमने के लिए निकले और वहां उन्होने रोल्स रॉयस कम्पनी का भव्य शोरूम देखा और मोटर कार का भाव जानने के लिए अंदर चले गए। शोरूम के अंग्रेज मैनेजर ने उन्हें “कंगाल भारत” का सामान्य नागरिक समझ कर वापस भेज दिया। शोरूम के सेल्समैन ने भी उन्हें बहुत अपमानित किया, बस उन्हें “गेट आऊट” कहने के अलावा अपमान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।अपमानित महाराजा जयसिंह वापस होटल पर आए और रोल्स रॉयस के उसी शोरूम पर फोन लगवाया और संदेशा कहलवाया कि अलवर के महाराजा कुछ मोटर कार खरीदना चाहते हैं।

कुछ देर बाद जब महाराजा रजवाड़ी पोशाक में अपने पूरे दबदबे के साथ शोरूम पर पहुंचे तब तक शोरूम में उनके स्वागत में “रेड कार्पेट” बिछ चुका था। वही अंग्रेज मैनेजर और सेल्समेन्स उनके सामने नतमस्तक खड़े थे। महाराजा ने उस समय शोरूम में पड़ी सभी छ: कारों को खरीदकर, कारों की कीमत के साथ उन्हें भारत पहुँचाने के खर्च का भुगतान कर दिया।

भारत पहुँच कर महाराजा जयसिंह ने सभी छ: कारों को अलवर नगरपालिका को दे दी और आदेश दिया कि हर कार का उपयोग (उस समय के दौरान 8320 वर्ग कि.मी) अलवर राज्य में कचरा उठाने के लिए किया जाए।

विश्‍व की एक नंबर मानी जाने वाली सुपर क्लास रोल्स रॉयस की कार नगरपालिका के लिए कचरागाड़ी के रूप में उपयोग लिए जाने के समाचार पूरी दुनिया में फैल गया और रोल्स रॉयस की इज्जत तार-तार हुई। युरोप-अमरीका में कोई अमीर व्यक्‍ति अगर ये कहता “मेरे पास रोल्स रॉयस कार” है तो सामने वाला पूछता “कौनसी?” वही जो भारत में कचरा उठाने के काम आती है! वही?

बदनामी के कारण और कारों की बिक्री में एकदम कमी आने से रोल्स रॉयस कम्पनी के मालिकों को बहुत नुकसान होने लगा। महाराज जयसिंह को उन्होने क्षमा मांगते हुए टेलिग्राम भेजे और अनुरोध किया कि रोल्स रॉयस कारों से कचरा उठवाना बन्द करवावें। माफी पत्र लिखने के साथ ही छ: और मोटर कार बिना मूल्य देने के लिए भी तैयार हो गए।

महाराजा जयसिंह जी को जब पक्‍का विश्‍वास हो गया कि अंग्रेजों को वाजिब बोधपाठ मिल गया है तो महाराजा ने उन कारों से कचरा उठवाना बन्द करवाया

पूछे गए प्रश्न और उनके उत्तर: 

प्रश्न: विजय मंदिर महल कहा स्थित है ?
उत्तर: अलवर मे  

प्रश्न: विजय मंदिर महल का निर्माण कब हुआ ?
उत्तर: विजय मंदिर का निर्माण 1918 मे हुआ 

प्रश्न: महाराजा जयसिंह प्रभाकर का जन्म कब ओर कहा हुआ था ?
उत्तर: महाराजा जयसिंह प्रभाकर जन्म 14 जून 1882 को विनय विलास में हुआ

प्रश्न: भारत मे रोल्स रॉयस कार से कचरा किस राजा ने उठवाया था ?
उत्तर: महाराजा जयसिंह प्रभाकर 

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