अचलगढ़ किला, सिरोही राजस्थान

Achalgarh Fort, Sirohi

अचलगढ़ किला: 

अचलगढ़ का किला, राजस्थान के सिरोही जिले में माउन्ट आबू नगर  स्थित है, माउंट आबू राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है। माउंट आबू में अनेक पर्यटन स्थल हैं। इनमें कुछ शहर से दूर हैं तो कुछ शहर के आसपास ही हैं।दिलवाड़ा के मंदिरों से 8 किलोमीटर उत्तर पूर्व में यह क़िला और मंदिर स्थित हैं। राजस्थान में आबू के निकट स्थित अचलगढ़ पूर्व मध्यकाल में मालवा के परमारों की राजधानी रहा है। अचलगढ़ किला, माउंट आबू से 11 किलोमीटर उत्तर में स्थित है।

Achalgarh Fort, Sirohi

अचलगढ़ का इतिहास: 

दिलवाड़ा के मंदिरों से 8 किलोमीटर उत्तर पूर्व में यह क़िला और मंदिर स्थित हैं। राजस्थान में आबू के निकट अवस्थित अचलगढ़ पूर्व मध्यकाल में मालवा के परमारों की राजधानी रहा है।

अचलगढ़ के किले (Achalgarh Qila) का इतिहास 14वी शताब्दी से शुरू होता है, इतिहासकारो के अनुसार इसे सबसे पहले परमार राजाओ ने बनवाया था मगर युद्ध और अन्य कारणों से किला कुछ कमजोर हो गया था इसलिए 1452 में मेवाड़ के राजा राणा कुम्भा ने इसका पुनर्निर्माण करवाया और इसका नामाकरण भी किया, उनके दिए नाम अचलगढ़ के किले से ही हम आज तक इस किले को जानते आये है।इस किले में 2 दरवाजे है इक किले के बहरी परिसर में प्रवेश के लिए और दूसरा आंतरिक परिसर प्रवेश के लिए, किले के अंदर ही अचलेश्वर महादेव का मंदिर है, इसके अंदर एक जैन मंदिर भी है जो सम्भवतया 1513 में बनवाया गया था, भारत सरकार की देख रेख में आने से पहले यह मेवाड़ राज्य की देखरेख में था।

परमारों एवं चौहानों के इष्टदेव अचलेश्वर महादेव का प्राचीन मन्दिर अचलगढ़ में ही है। पहाड़ी के तल पर 15वीं शताब्दी में बना अचलेश्वर मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है। कहा जाता है कि यहाँ भगवान शिव के पैरों के निशान हैं। नज़दीक ही 16वीं शताब्दी में बने काशीनाथ जैन मंदिर भी हैं।

अचलगढ़ से प्राप्त एक शिलालेख से आबू के परमारों एवं सोलंकियों के इतिहास का अभिज्ञान होता है। इस शिलालेख से यह ज्ञात होता है, कि दिलवाड़ा के विश्व प्रसिद्ध मन्दिर के निर्माताओं- यथा वस्तुपाल एवं तेजपाल ने जैन होने पर भी कई शिव मन्दिरों का उद्धार करवाया था।

वास्तुकला: 

अचलगढ़ किले का पुननिर्माण महाराजा कुंभा ने करवाया था। अचलेश्वर महादेव मंदिर किले के पास स्थित है जहां भगवान शिव की एक पैर की पूजा की जाती है। आप किले के अंदर कुछ जैन मंदिर भी पा सकते हैं। किला अब क्षयग्रस्त स्थिति में है। किले का पहला द्वार हनुमानपोल के रूप में जाना जाता है, जो कि निचले किले के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता था। इसमें ग्रेनाइट के बड़े ब्लॉकों के दो टावर हैं। कुछ चढ़ाई के बाद, चंपा पोल, किले के दूसरे द्वार पर खड़ा है, जो आंतरिक किले के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता था। क्षयग्रस्त आचलगढ़ किला वास्तव में एक महान स्थापत्य कला है।

अचलेश्वर महादेव:  

अचलेश्वर महादेव मंदिर किले के बाहर स्थित है; यहाँ भगवान शिव की अंगूठे की पूजा की जाती है और मंदिर मे एक ताम्बे की बनी नन्दी की प्रतिमा भी वहां स्थित है। माना जाता है कि प्रसिद्ध नन्दी की प्रतिमा 5 धातु, गुना, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ता से बना है। नन्दी की प्रतिमा पंचधट्टू से बना है और इसका वजन 4 टन से अधिक है। कई अन्य मूर्तिकला मूर्तियां भी हैं जो स्फ़ैटिक नामक एक क्रिस्टल की तरह पत्थर के बने हैं।

मंदिर मंदाकिनी झील से घिरा हुआ है। यह झील चट्टानी पहाड़ियों से घिरा हुआ है, और दीवारों में राजपूत राजा और भैंसों की छवियां हैं। मंदिर के पास, तालाब के चारों ओर खड़े तीन पत्थर से बनी भैंस की प्रतिमा हैं । आचलगढ़ किला एक प्रभावशाली किला है, जिसमें कुछ सुंदर जैन मंदिर भी शामिल हैं। कान्तिनाथ जैन मंदिर उनमे से एक है।

पूछे गए प्रश्न और उनके उत्तर: 

प्रश्न:  अचलगढ़ का किला राजस्थान के किस जिले मे स्थित है?
उत्तर: सिरोही जिले मे स्थित है 

प्रश्न:  अचलगढ़ किला, माउंट आबू से कितने किलोमीटर है?
उत्तर: अचलगढ़ किला, माउंट आबू से 11 किलोमीटर उत्तर में स्थित है।

प्रश्न: अचलगढ़ किले का पुननिर्माण किसने करवाया था?
उत्तर: अचलगढ़ किले का पुननिर्माण महाराजा कुंभा ने करवाया था।

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